Sanskrit Shlok-06:
ये तु सर्वाणि कर्माणि मयि सन्न्यस्य मत्पराः |
अनन्येनैव योगेन मां ध्यायन्त उपासते ||12.6||
Transliteration:
ye tu sarvāṇi karmāṇi mayi sannyasya mat-parāḥ |
ananyenaiva yogena māṁ dhyāyanta upāsate||12.6|
Translation:
But those who worship Me, giving up all their activities unto Me, being devoted to Me without deviation, engaged in devotional service and always meditating upon Me.
Hindi Translation:
लेकिन जो लोग मेरी पूजा करते हैं, वे अपनी सभी गतिविधियों को मेरे लिए छोड़ देते हैं, बिना विचलन के मेरे प्रति समर्पित होते हैं, भक्ति सेवा में लगे रहते हैं और हमेशा मेरा ध्यान करते हैं।
Hindi Explanation:
भगवान कृष्ण कहते हैं, लेकिन जो सभी कर्मों को ईश्वर के रूप में प्रस्तुत करते हैं, वे मेरे परायणों को निर्धारित करते हैं अर्थात् मैं हीक्रोमगति परम हूँ, ऐसे केवल अनन्ययोग अर्थात् विश्वरूप आत्मदेव को छोड़कर जिसमें अन्य अवलंबन शामिल नहीं हैं? ऐसे अनन्य समाधियोग से ही मेरा चिंतन होता है।
जय श्री कृष्णा-राधे-राधे

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