Sanskrit Shlok-04:
सम्नियम्येन्द्रियग्रामं सर्वत्र समबुद्धयः |
ते प्राप्नुवन्ति मामेव सर्वभूतहिते रताः ||4||
Transliteration:
samniyamyendriya-grāmaṁ sarvatra sama-buddhayaḥ |
te prāpnuvanti mām eva sarva-bhūta-hite ratāḥ||4||
English Translation:
Restraining all the senses, even-minded everywhere, intent on the welfare of all beings, they also come to Me.
Hindi Translation:
सभी इंद्रियों को संयमित करने वाले, सर्वत्र समचित्त रहने वाले, सभी प्राणियों के कल्याण की इच्छा रखने वाले, वे भी मेरे पास आते हैं।
Hindi Explanation:
भगवान कृष्ण ने कहा है कि जो अपनी इन्द्रियों को वश में करके अचिन्त्य, सब जगह अचिन्त्य, अ निर्देश, कूटस्थ, अचल, ध्रुव, अक्षर और अव्यक्ती की पूजा करते हैं, वे प्राणिमात्रके हितमें रत और सब जगह समबुद्धिवाले मनुष्य मुझे ही प्राप्त होते हैं।
जय श्री कृष्णा-राधे-राधे

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