Sanskrit Shlok-05:
क्लेशोऽधिकतरस्तेषामव्यक्तासक्तचेतसाम् |
अव्यक्ता हि गतिः दु:खं देहवद्भिरवाप्यते ||5||
Transliteration:
kleśho ’dhikataras teṣhām avyaktāsakta-chetasām |
avyaktā hi gatir duḥkhaṁ dehavadbhir avāpyate||5||
Translation:
Greater is their trouble whose minds are set on the Unmanifested; for the goal of the Unmanifested is very hard for the embodied to reach.
Hindi Translation:
उनका संकट अधिक बड़ा है जिनका मन अव्यक्त पर लगा हुआ है; क्योंकि अव्यक्त के लक्ष्य तक पहुंचना देहधारी के लिए बहुत कठिन है।
Hindi Explanation:
भगवान कृष्ण कहते हैं, किंतु, उनको क्लेश अधिकतर होता है। हालाँकि मेरे ही लिए कर्मादि करने में लगे हुए साधकों को भी बहुत क्लेश होता है? लेकिन अन्यत्र चित्त अव्यक्त में असक्त है? उन अक्षरचिन्तक परमार्थदर्शनोंको तो देहअभिमानका परित्याग करना जारी है? इसलिए उन्हें और भी अधिक क्लेश लगाया गया है। क्योंकि जो अक्षर आत्मिका अव्यक्तगति है वह देहाभिमानयुक्त पुरुषों को बड़े लाभ से प्राप्त होती है? मूलतः अधिकांश क्लेश होता है।
जय श्री कृष्णा-राधे-राधे

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