Bhagavad Gita: Chapter 3, Shloka 14
Shloka:
अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः |
यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः || 14 ||
Transliteration:
annād bhavanti bhūtāni parjanyād anna-sambhavaḥ
yajñād bhavati parjanyo yajñaḥ karma-samudbhavaḥ
Meaning:
All living beings are sustained by food, food is produced by rain, rain is produced by performing yajna (sacrifice), and yajna is born of prescribed duties.
Explanation:
यह श्लोक जीविका के चक्र को रेखांकित करता है और ब्रह्मांड में सब कुछ यज्ञ (बलिदान या कर्तव्य) की अवधारणा के माध्यम से कैसे जुड़ा हुआ है। 1. भोजन और जीवित प्राणी:
सभी जीवित प्राणी अपने अस्तित्व के लिए भोजन पर निर्भर हैं। भोजन जीवन के लिए आवश्यक ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है।
2. बारिश और भोजन:
भोजन का उत्पादन कृषि के माध्यम से किया जाता है, जो वर्षा पर निर्भर है। पर्याप्त वर्षा के बिना, फसलें विकसित नहीं हो सकतीं, जिससे भोजन की कमी हो जाती है।
3. यज्ञ और वर्षा :
यज्ञ करने से वर्षा होती है। इस संदर्भ में, यज्ञ का तात्पर्य उन बलिदानों और अनुष्ठानों से है जो देवताओं को प्रसन्न करते हैं, जो फिर पृथ्वी पर वर्षा करते हैं।
4. कर्तव्य एवं यज्ञ:
यज्ञ का जन्म निर्धारित कर्तव्यों से होता है। समर्पण और निस्वार्थ भाव से अपने कर्तव्यों का पालन करना ही यज्ञ का रूप माना जाता है। ये कर्तव्य व्यापक भलाई में योगदान करते हैं और ब्रह्मांडीय व्यवस्था को बनाए रखते हैं।
टिप्पणी:
स्वामी शिवानंद की टिप्पणी:
यह श्लोक प्रकृति के चक्र और यज्ञ के महत्व को बताता है। यज्ञ करके हम प्राकृतिक व्यवस्था में योगदान करते हैं और सभी प्राणियों की भलाई सुनिश्चित करते हैं। सृष्टि में संतुलन बनाए रखने के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना आवश्यक है। (संदर्भ: शिवानंद टिप्पणी)
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की टिप्पणी:
प्रभुपाद सभी जीवन के अंतर्संबंध और इस संतुलन को बनाए रखने में यज्ञ के महत्व पर प्रकाश डालते हैं। वह बताते हैं कि शास्त्रों के अनुसार यज्ञ करने से दुनिया में समृद्धि और सद्भाव पैदा होता है। (संदर्भ: भगवद गीता - यथारूप)
स्वामी चिन्मयानंद की टिप्पणी:
चिन्मयानंद दुनिया को बनाए रखने में निःस्वार्थ कार्रवाई (कर्म) की भूमिका पर जोर देते हैं। त्याग की भावना से अपने कर्तव्यों का पालन करके हम समाज और पर्यावरण की भलाई में योगदान देते हैं। (संदर्भ: चिन्मय मिशन)

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